वाराणसी – घाटों और मंदिरों का शहर

हम बड़े गर्व से कहते कि “हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है”। जी हाँ, मैं उसी गंगा और उसके किनारे बसे एक सुन्दर और अद्भुत शहर वाराणसी (बनारस) की बात कर रहा हूँ। केवल हमारे भारत ही नहीं बल्कि विश्व में भी जब कभी धार्मिक स्थलों के बारे में बात होती है तो वाराणसी एक विशेष स्थान ग्रहण करता है। जी हां, यह वही काशी नगरी है जो उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश में बसी हुई है। कुछ लोग इसको ‘काशी’ कहते कुछ लोग ‘बनारस’ और कुछ लोग ‘शिवनगरी’ भी कहते हैं।

लेकिन क्या आपको पता है कि यहाँ की गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध है?

बनारस, जहां सूर्योदय आरती के साथ और सूर्यास्त भी आरती के साथ ही होता है। और शाम की आरती के लिए श्रद्धालु लोग जब घाटों पर इक्कठा होते हैं, एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है। जैसे कि हर शाम एक महोत्सव बन जाती है तथा सुबह के इंतजार के लिए एक नयी उमंग दे जाती है। यह एक ऐसा समय होता है जब गंगा घाट की खूबसूरती देखते ही बनती है; चाहे आप बीच नदी में हों, दूसरे किनारे पर हो या फिर घाटों पर विचरण कर रहे हों। जी हां, आपको शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति मिलेगा जो एक बार इस दिव्य अवसर का दर्शन किया हो और फिर दूसरी बार दर्शन करने की अभिलाषा ना करें।

आप एक बार क्या हजार बार भी इस सुअवसर का दर्शन कर लें तो मन न भरे। यह है मेरा भारत और ऐसा है इस भारत का सौंदर्य दर्शन जिसके लिए हर एक दूर देश का व्यक्ति लालायित रहता है ताकि कम से कम एक बार इस सौंदर्य का दर्शन हो जाए। दशाश्वमेध घाट पर वह घंटियों का कोलाहल और भद्र पुरुषों का मंत्रोच्चारण किसके मन को नहीं मोहित कर लेगा। जहां चाहे वह घाट हो मंदिर हो या फिर लोगों का अपना घर ही क्यों न हो; सुबह की शुरुआत पूजा-अर्चना व आरती से ही होती है। और लोगों के सुबह से शाम तक का समय मंदिरों और घाटों के दर्शन में ही बीत जाते है।

ये है सुबह और शाम का बनारस और इसके गंगा घाट। इस पावनमयी ऐतिहासिक और धार्मिक भूमि के दर्शन का मनोरम वक्त कौन गँवा सकता है! यह पावन स्थल शुरू से ही ध्यान और ज्ञान का केंद्र रहा है। बनारस के दर्शन की अभिलाषा लिए जब कभी भी आप शिव नगरी में पहुंचे, सूर्य के ढलते ही गंगा घाट पर इस मनोरम दृश्य का दर्शन ज़रूर करें।

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